Namami Gange Yojana नमामि गंगे योजना
नमामि गंगे योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जो गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और इसकी पुनर्जीवन के लिए कार्य करती है। यह योजना 2014 में शुरू की गई थी और इसका बजट 20,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था।
योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- गंगा नदी में प्रदूषण को कम करना
- गंगा नदी के तटीय क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देना
- गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना
योजना के कार्यान्वयन को तीन चरणों में विभाजित किया गया है:
- प्रारंभिक स्तर की गतिविधियाँ (Entry-Level Activities): इस चरण में, योजना के प्रभाव को तुरंत देखने के लिए कुछ गतिविधियों को शुरू किया गया। इन गतिविधियों में शामिल हैं:
- गंगा नदी के किनारे स्थित नालों और सीवरों को साफ करना
- गंगा नदी में बहने वाले औद्योगिक अपशिष्ट को कम करना
- गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करना
- मध्यम अवधि की गतिविधियाँ (Medium-Term Activities): इस चरण में, गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधानों को लागू किया जाएगा। इन गतिविधियों में शामिल हैं:
- गंगा नदी के किनारे स्थित शहरों और कस्बों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण
- गंगा नदी में बहने वाले औद्योगिक अपशिष्ट को रोकने के लिए नियमों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करना
- गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए वृक्षारोपण और अन्य उपाय करना
- दीर्घकालिक गतिविधियाँ (Long-Term Activities): इस चरण में, गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधानों को लागू किया जाएगा। इन गतिविधियों में शामिल हैं:
- गंगा नदी के किनारे स्थित कृषि क्षेत्रों में जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण उपाय करना
- गंगा नदी के तटीय क्षेत्रों के विकास के लिए योजनाएँ बनाना
योजना के कार्यान्वयन में केंद्रीय और राज्य सरकारों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों (NGO) और स्थानीय समुदायों की भी भागीदारी है।
नमामि गंगे योजना के कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ
- योजना के तहत अब तक 336 STP का निर्माण किया जा चुका है।
- गंगा नदी में बहने वाले औद्योगिक अपशिष्ट को कम करने के लिए 1,300 से अधिक उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
- गंगा नदी के किनारे स्थित 16,000 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण किया गया है।
योजना के तहत अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें शामिल हैं:
- गंगा नदी के किनारे स्थित शहरों और कस्बों में STP की क्षमता को पूरा करने के लिए अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है।
- गंगा नदी में बहने वाले औद्योगिक अपशिष्ट को पूरी तरह से रोकने के लिए कड़े नियमों और कानूनों की आवश्यकता है।
- गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए दीर्घकालिक उपाय करने की आवश्यकता है।
सरकार इन चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है और योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
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